आर्मी पब्लिक स्कूल गोलकोण्डा
अवकाशकालीन गृहकार्य
कक्षा -५
किसी नगर में
युधिष्ठिर नाम का कुम्हार रहता था। एक बार वह नशे की हालत में दौड़ते समय
लड़खड़ाकर गिर पड़ा। उसके सिर पर घड़े के टूटे हुए टुकड़े से घाव हो गया। उसकी लापरवाही से घाव बढ़ता गया और महीनों बाद मुश्किल से
ठीक हुआ।
तभी वहाँ पर अकाल पड़ गया। इसलिए कुम्हार अपना नगर छोड़ परदेश चल पड़ा। भटकता-भटकता एक दिन वह जीविका की आशा से राजदरबार में आ पहुँचा । उसके माथे पर चोट का गहरा निशान देखकर राजा ने सोचा “यह अवश्य कोई बहादुर व्यक्ति है।
इसके माथे पर इतना बड़ा घाव अवश्य वीरतापूर्वक किसी से युद्ध करते समय ही लगा होगा।“ इसलिए राजा ने उसे अपनी सेना में पद दे दिया। इतना ही नहीं, राजा ने उसे अपना विशेष कृपापात्र बना लिया। उसे राजा से इतना मान-सम्मान पाते देख दूसरे राजदरबारी उससे चिढ़ने लगे।
एक बार राजा को युद्ध की तैयारी करनी पड़ी। जब सारे योद्धा लड़ाई के लिए तैयार हो रहे थे तो राजा ने असमंजस में पड़े उस कुम्हार से एकांत में पूछा-‘भद्र तुम्हारा नाम क्या है? और तुम्हारे सिर पर यह घाव किस युद्ध में लगा था?’
कुम्हार ने कहा- ‘महाराज, मेरे माथे पर घाव किसी युद्ध में अस्त्र-शस्त्र से नहीं, बल्कि एक बार नशे में मिट्टी के घड़े पर गिर जाने के कारण लग गया था। मैं कुम्हार हूँ मेरा नाम युधिष्ठिर है।’ राजा को अपने किए पर बड़ी लज्जा आई। इसके कारण वह अपने कितने ही शूरवीर योद्धाओं की उपेक्षा करता रहा। राजा ने उसे सेना से निकाल दिया।
तभी वहाँ पर अकाल पड़ गया। इसलिए कुम्हार अपना नगर छोड़ परदेश चल पड़ा। भटकता-भटकता एक दिन वह जीविका की आशा से राजदरबार में आ पहुँचा । उसके माथे पर चोट का गहरा निशान देखकर राजा ने सोचा “यह अवश्य कोई बहादुर व्यक्ति है।
इसके माथे पर इतना बड़ा घाव अवश्य वीरतापूर्वक किसी से युद्ध करते समय ही लगा होगा।“ इसलिए राजा ने उसे अपनी सेना में पद दे दिया। इतना ही नहीं, राजा ने उसे अपना विशेष कृपापात्र बना लिया। उसे राजा से इतना मान-सम्मान पाते देख दूसरे राजदरबारी उससे चिढ़ने लगे।
एक बार राजा को युद्ध की तैयारी करनी पड़ी। जब सारे योद्धा लड़ाई के लिए तैयार हो रहे थे तो राजा ने असमंजस में पड़े उस कुम्हार से एकांत में पूछा-‘भद्र तुम्हारा नाम क्या है? और तुम्हारे सिर पर यह घाव किस युद्ध में लगा था?’
कुम्हार ने कहा- ‘महाराज, मेरे माथे पर घाव किसी युद्ध में अस्त्र-शस्त्र से नहीं, बल्कि एक बार नशे में मिट्टी के घड़े पर गिर जाने के कारण लग गया था। मैं कुम्हार हूँ मेरा नाम युधिष्ठिर है।’ राजा को अपने किए पर बड़ी लज्जा आई। इसके कारण वह अपने कितने ही शूरवीर योद्धाओं की उपेक्षा करता रहा। राजा ने उसे सेना से निकाल दिया।
गद्यांश को पढ़कर
प्रश्नों के उत्तर दो-
१) कुम्हार का
क्या नाम था?
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२) उसके सिर पर
चोट का निशान कैसे बना?
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३) राजा ने
कुम्हार की चोट को देखकर क्या अंदाजा
लगाया?
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४) दूसरे
राजदरबारी कुम्हार से क्यों चिढ़ने लगे?
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५) गद्यांश में से दो विशेषण
शब्द छाँटकर लिखो।
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६) दो सर्वनाम शब्द छाँटकर
वाक्यों मे प्रयोग करो।
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७) गद्यांश पढकर दो संज्ञा
शब्द लिखो।
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प्र०-२) उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर
पाँच-पाँच नए शब्द बनाइए ।
उपसर्ग
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प्रत्यय
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1.
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1.
|
2.
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2.
|
3.
|
3.
|
4.
|
4.
|
5.
|
5.
|
प्र०-३) दस मुहावरों के अर्थ
लिखकर वाक्यों मे प्रयोग कीजिए।
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